देश में H3N2 वायरस के अब तक करीब 90 मामले सामने आ चुके हैं। पिछले कुछ महीनों में देश में फ्लू के मामले बढ़ रहे हैं। अधिकांश संक्रमण H3N2 वायरस के कारण होता है, जिसे ‘हांगकांग फ्लू’ के नाम से भी जाना जाता है। यह वायरस देश में अन्य इन्फ्लूएंजा उपप्रकारों की तुलना में अधिक शक्तिशाली है। अभी तक भारत में केवल H3N2 और H1N1 संक्रमण देखे गए हैं। दोनों में कोविड जैसे लक्षण हैं, जिससे दुनिया भर में लाखों लोग संक्रमित हैं। महामारी के दो साल बाद, फ्लू के बढ़ते मामलों ने लोगों की चिंता बढ़ा दी है।
विशेषज्ञों के अनुसार, दोनों वायरस अत्यधिक संक्रामक हैं और संक्रमित व्यक्ति के खांसने, छींकने और निकट संपर्क से फैलते हैं। डॉक्टरों ने नियमित रूप से हाथ धोने और मास्क पहनने की सलाह दी है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने नागरिकों से छींकने और खांसने के दौरान अपने मुंह और नाक को ढंकने की कोशिश करने का आग्रह किया है।
इस तरह बचाव करें
– अपने हाथों को नियमित रूप से धोएं और सार्वजनिक रूप से हाथ मिलाने और थूकने से बचें
– आंख और नाक को छूने से बचें
– खांसते समय मुंह और नाक को ढंक लें
– घर से बाहर निकलते समय मास्क लगाना जरूरी है
– प्रदूषित जगहों पर जाने से बचें
– अधिक से अधिक तरल पदार्थों का सेवन करें
बिना सलाह न लें दवाई
इसका इलाज काफी आसान है। आपको ज्यादा से ज्यादा तरल पदार्थो का सेवन करना चाहिए। ताकि आप खुद को हाइड्रेटेड रख सकें। बुखार, खांसी या सिरदर्द होने पर डॉक्टर द्वारा बताई गई दवाएं नियमित रूप से लेनी चाहिए। इस बीच, आईएमए ने बिना डॉक्टर की सलाह के एंटीबायोटिक दवाओं का सेवन न करने की चेतावनी दी है। इन्फ्लुएंजा के कारण होने वाले बुखार और खांसी को कम करने के लिए जितने लोग खुद एंटीबायोटिक दवाइयां लिखते हैं, मरीजों की तबीयत बिगड़ती जाती है। इसलिए बिना डॉक्टरी सलाह के एंटीबायोटिक दवाओं का सेवन न करें।