भारत को इस फैसले की उम्मीद थी। सूत्रों के मुताबिक, एक महीने पहले जानकारी मिली थी कि भारत प्रत्यर्पण की तैयारी कर रहा है। पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादियों ने 2008 में मुंबई पर हमला किया था। भारत ने 10 जून 2020 को तहव्वुर राणा के खिलाफ शिकायत की थी। भारत ने 62 वर्षीय आरोपी की अस्थायी गिरफ्तारी की मांग की थी। भारत के अनुरोध के बाद बाइडन सरकार ने इसका समर्थन किया और इसे मंजूरी दी।
अमेरिकी कोर्ट ने 48 पन्नों का आदेश जारी किया
मामले की सुनवाई यूएस डिस्ट्रिक्ट कोर्ट सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट ऑफ कैलिफोर्निया में हुई। यूएस मजिस्ट्रेट जस्टिस जैकलीन चुलजियान ने कहा कि अदालत में पेश किए गए सबूत पूरी तरह से विचार के योग्य हैं। उन्होंने कहा कि भारत की ओर से जो भी सबूत दिए गए हैं, उनका बारीकी से अध्ययन किया गया है। इसके बाद ही फैसला लिया गया। बुधवार को कोर्ट ने 48 पेज का आदेश जारी किया। अदालत ने स्वीकार किया कि राणा का प्रत्यर्पण उचित था।
राणा डेविड कोलमैन हेडली का सहयोगी है
जब अदालत में मामले की सुनवाई चल रही थी, तब जो बिडेन प्रशासन के वकीलों ने तर्क दिया कि तहव्वुर राणा को पता था कि उसका बचपन का दोस्त, पाकिस्तानी-अमेरिकी डेविड कोलमैन हेडली, आतंकवादी संगठन लश्कर का सदस्य था। इसके बाद भी वह हैडली के साथ रहा। राणा ने अपनी गतिविधियों को छुपाने के लिए काफी कुछ किया। इसके अलावा आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा को भी सपोर्ट करता है।
राणा के वकील ने मना कर दिया
अदालत को यह भी बताया गया कि तहव्वुर राणा हेडली की चालों और बैठकों के बारे में सब कुछ जानता था। अमेरिकी सरकार ने अदालत के सामने दावा किया कि राणा भी साजिश का हिस्सा था। दूसरी ओर, राणा के वकील ने लगातार आरोपों का खंडन किया और अपने मुवक्किल का बचाव किया। राणा के वकील ने प्रत्यर्पण का विरोध किया।