ब्रिटेन में मंदी के बीच महंगे हुए कंसर्ट!
किंग चार्ल्स ने खुद इस आयोजन की लागत को कम करने की पहल की है। इस कार्यक्रम में दुनिया भर से लगभग 2,000 वीआईपी भाग लेंगे। 1953 में महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के राज्याभिषेक में चार गुना मेहमान आए थे। कार्यक्रम एक घंटे तक ही चलेगा। पहले ऐसा माना जाता था कि यह कई घंटों तक चल सकता है। इसके बावजूद, इस आयोजन पर लगभग 100 मिलियन पाउंड या लगभग 125 मिलियन डॉलर खर्च होने का अनुमान है। महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के राज्याभिषेक में लगभग 1.5 मिलियन पाउंड का खर्च आया, जो आज के हिसाब से पांच मिलियन पाउंड है। 1937 में जॉर्ज VI के राज्याभिषेक में £4.5 मिलियन खर्च हुए। यह राशि आज के 24.8 मिलियन पाउंड के बराबर है।
ब्रिटेन की जीडीपी पूर्व-कोविड स्तर से 0.6% नीचे
इस आयोजन को यूके सरकार द्वारा वित्तपोषित किया जा रहा है। यानी यह ब्रिटिश टैक्सपेयर की जेब से निकल जाएगा। इसमें बकिंघम पैलेस का भी थोड़ा बहुत योगदान है। हालांकि इसका खुलासा नहीं हुआ है। एक सर्वे के मुताबिक 51 फीसदी लोगों का कहना है कि सरकार को इसका खर्च नहीं उठाना चाहिए। 8 मई को देश में सार्वजनिक अवकाश घोषित किया गया है। इससे ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था पर £1.36 बिलियन का खर्च आने का अनुमान है। यूके जीडीपी वर्तमान में पूर्व-कोविद स्तरों से 0.6% नीचे है। ब्रिटेन इकलौती जी-7 अर्थव्यवस्था है जो अभी तक कोविड से पूरी तरह उबर नहीं पाई है। एक अनुमान के मुताबिक, 75 फीसदी संभावना है कि ब्रिटेन इस साल मंदी की चपेट में आ जाएगा।
गिरती अर्थव्यवस्था पर भारी पड़ेगा ताजपोशी!
किंग चार्ल्स को आज कैंटरबरी के आर्कबिशप में ताज पहनाया जाएगा। इसके साथ ही लंदन और ब्रिटेन के अन्य हिस्सों में तीन दिनों के जश्न की शुरुआत हो जाएगी। यह उत्सव 8 मई तक चलेगा। उस दिन देश में सार्वजनिक अवकाश घोषित किया गया है। माना जा रहा है कि इस ऐतिहासिक पल को सेलिब्रेट करने में देशभर के लाखों लोग शामिल होंगे। लेकिन ब्रिटेन की बिगड़ती अर्थव्यवस्था को देखते हुए इस महंगे आयोजन पर सवाल उठ रहे हैं। बकिंघम पैलेस ने आयोजन की कुल लागत का खुलासा नहीं किया है।