वर्तमान में हाईवे और एक्सप्रेसवे का काम सरकार के साथ निजी कंपनियों को सौंपा गया है और इन दोनों की मूल जिम्मेदारी है कि अगर टोल टैक्स वसूला जाए तो गड्ढामुक्त सड़कें मिलनी चाहिए, लेकिन सवाल उठता है कि हमें वाकई गड्ढा मुक्त सड़कें मिलती है?
टोल टैक्स को आसान भाषा में समझें
सरकार बहुत अधिक लागत पर राजमार्ग या एक्सप्रेसवे बनाती है। यह काम भी सरकार निजी कंपनियों को देती है। सड़क बनने के बाद उसका रख-रखाव करना बहुत जरूरी है। इसके लिए सरकार कंपनियों को ड्राइवरों से कुछ रकम लेने की इजाजत देती है। एक बार खर्च की गई राशि वसूल हो जाने के बाद सरकार टोल टैक्स को खत्म कर सकती है। वहीं, सरकार प्रस्तावित टोल टैक्स की राशि को कम भी कर सकती है
टोल टैक्स निर्धारित करने के लिए कई मानदंड हैं
1. दो टोल सड़कों के बीच न्यूनतम 60 किमी की दूरी आवश्यक है।
2. यदि सड़क के ऊपर कोई पुल, सुरंग या बाइपास है तो कर अधिक हो सकता है।
3. राजमार्गों की तुलना में एक्सप्रेसवे पर टोल टैक्स अधिक है।
क्या टोल टैक्स चुकाए बिना पैसा निकाला जा सकता है?
बिना टोल टैक्स चुकाए बाहर निकलने के कुछ नियम हैं। अगर आप 3 मिनट से ज्यादा इंतजार करते हैं तो आप बिना टोल चुकाए गुजर सकते हैं। हालांकि, ज्यादातर समय लोग कानूनी लड़ाई में नहीं पड़ना चाहते हैं। टोल शुल्क के एवज में सुविधा नहीं मिलने पर आप इसकी शिकायत कर सकते हैं। इस संबंध में वाहन चालक हाईकोर्ट में शिकायत कर सकता है। टोल टैक्स भुगतान के बाद सुविधा नहीं मिलने पर उपभोक्ता संरक्षण में भी शिकायत दर्ज कराई जा सकती है।