संकष्टी चतुर्थी का शुभ मुहूर्त
1. ज्येष्ठ चतुर्थी तिथि प्रारंभ- 8 मई, प्रातः 6 बजकर 18 मिनट से
2. ज्येष्ठ कृष्ण चतुर्थी की समापन तिथि- 9 मई से शाम 4:08 मिनट
3. गणेश पूजा का शुभ समय- 8 मई को शाम 5:02 से 8:00 बजकर 2 मिनट तक
4. शिवयोग का शुभ समय– सुबह ,02:53 मिनट से 09 मई रात 12 बजकर 10 मिनट तक
5. चंद्रोदय का शुभ समय- रात रात 10:00 बजकर 04 मिनट पर
संकष्टी चतुर्थी व्रत की पूजन विधि
संकट चतुर्थी व्रत के दिन सुबह प्रातः उठकर सबसे पहले स्नान करना है। उसके बाद व्रत का संकल्प लेना है। संकल्प लेने के बाद गणेश भगवान की पूजा विधि में आपको गणेश भगवान की विधान से पूजा अर्चना करनी हैं और भोग में तिल, गुड़ के लड्डू, दुर्वा, चंदन, मोदक का भोग लगाएं और ओम गणेशाय नमः मंत्र का जाप करें। गणेश स्तुति, गणेश चालीसा और संकट चौथ व्रत कथा पढ़नी चाहिए और व्रत कथा और पूजा खत्म होने के बाद गणेश जी की आरती जरूर करें और रात में चांद निकलने से पहले गणेश भगवान की फिर से एक बार पूजा करनी हैं। उसके बाद चंद्रोदय होने पर दुग्ध से चंद्रोदय को अर्घ्य देकर उनकी पूजा करें और फिर फरहान ग्रहण करें। संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने से गणेश भगवान सभी श्रद्धालु और भक्तों की हर मनोकामना को पूर्ण करते हैं और उनके संकट को हर लेते हैं।
संकष्टी चतुर्थी का महत्व
पुरानी भक्ति पुराण के अनुसार संकष्टी चतुर्थी का उपवास करने से गणेश भगवान सभी श्रद्धालुओं भक्तों की परेशानियों को दूर करते हैं और संकष्टी चतुर्थी का उपवास करने से बुद्धि बल विवेक की प्राप्ति होती है। भगवान गणेश अपने सभी श्रद्धालुओं भक्तों की हर विघ्न और संकट दुविधा को दूर करते हैं और गणेश भगवान की कृपा और संकष्टी चतुर्थी का उपवास करने से घर में सुख समृद्धि, धन धान्य में वृद्धि होती है।
संकष्टी चतुर्थी के उपाय
1. संकष्टी चतुर्थी पर गणेश भगवान पर शमी की पत्ती अर्पित करने से श्रद्धालुओं के दुख, परेशानी, संकट सभी दूर हो जाती है।
2. समस्याओं से निजात पाने के लिए ओम गणेश नमः मंत्र का जाप करें और गणेश भगवान को सिंदूर लगाकर 17 बार दूर्वा अर्पित कर, इससे सभी समस्याएं दूर हो जाएंगी।
3. जीवन में सफलता नहीं मिल रही है और सफलता प्राप्त करना चाहते हैं तो गणेश पूजा में लाल कपड़े में चंदन का प्रयोग करें और उसको गरीब या जरूरतमंद लोगों को लाल कपड़ा दान करें। इससे आपकी सफलता में अड़चन नहीं होगी और आपको सफलता प्राप्त होगी।