प्रदोष व्रत का महत्व
प्रदोष व्रत से रोग दूर होते हैं और आयु में वृद्धि होती है। इस दिन व्रत और पूजा करने से विवाहित महिलाओं की मनोकामना पूरी होती है और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने के लिए यह व्रत विशेष फलदायी माना जाता है।
प्रदोष व्रत 2023 तिथि और शुभ मुहूर्त
-ज्येष्ठ मास कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि प्रारंभ: 16 मई को रात 11.36 बजे
-ज्येष्ठ मास कृष्ण पक्ष त्रयोदशी तिथि समाप्ति: 17 मई को रात 10 बजकर 28 मिनट पर
-तिथि- उदया तिथि के अनुसार 17 मई को बुध प्रदोष व्रत करना है
-प्रदोष व्रत पूजा का शुभ मुहूर्त- 17 मई शाम 7:06 बजे से रात 9:10 बजे तक
-आयुष्मान योग: 16 मई रात 11 बजकर 15 मिनट से 17 मई रात 9 बजकर 17 मिनट तक
ज्येष्ठ मास में बुध प्रदोष व्रत पूजा विधि
प्रदोष व्रत के दिन सूर्योदय से पहले उठकर सारे काम निपटा कर तैयार हो जाएं। इसके बाद स्वच्छ वस्त्र धारण कर भगवान शिव का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें। पूरे दिन उपवास करने के बाद सूर्यास्त से कुछ देर पहले दोबारा स्नान करें और साफ वस्त्र धारण करें। किसी शिव मंदिर में जाकर शिवलिंग पर जलाभिषेक या दूधाभिषेक करें। प्रदोष व्रत के दिन प्रदोष काल में पूजा करना शुभ माना जाता है। इसलिए इस दिन शाम को भगवान शिव की विधिपूर्वक पूजा करें।
प्रदोष व्रत में संध्या पूजन का विशेष महत्व माना जाता है। प्रदोष व्रत में शाम के समय शिवजी की पूजा करना विशेष फलदायी होता है। इसलिए शाम के समय नहा धोकर साफ कपड़े पहनकर पूजा करनी चाहिए। पूजा स्थान को गंगाजल से पवित्र करने के बाद सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करें। इसके बाद भगवान शिव की पूजा शुरू करें। गाय के दूध, घी, गंगाजल, दही, शहद, शक्कर आदि से महादेव का अभिषेक करें। इसके बाद फूल, माला, सफेद चंदन, धतूरा, बिल्वपत्र, भस्म, अक्षत, अकड़ा फूल, जानोई से धूप करें। फिर प्रदोष व्रत कथा का पाठ शिव मंत्र चालीसा के साथ करें। अंत में विधिपूर्वक आरती करें और भगवान शिव की पूजा में हुई गलती के लिए क्षमा मांगें।