सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने नाराजगी जताते हुए कहा, ‘मैं इंचार्ज हूं, मैं निर्णय लूंगा कि किस पर सुनवाई होनी चाहिए और किस पर नहीं। मैं किसी को यह बताने नहीं दूंगा कि इस अदालत की कार्यवाही कैसे चलनी चाहिए। आप जो मांग रहे हैं वो सिर्फ सुनवाई टालना ही है। बता दें, इस बहस के सुप्रीम कोर्ट में समलैंगिक विवाह की मान्यता को लेकर दायर याचिकाओं पर सुनवाई शुरू हुई। इस दौरान याचिकाकर्ताओं और सरकार की तरफ से कई दलीलें दी गई।
बता दें, मंगलवार की सुनवाई पूरी हो गई औरर अदालत बुधवार और गुरुवार को याचिकाकर्ताओं की सुनवाई जारी रखेगी। सरकार इस पर अगले सप्ताह बहस शुरू करेगी। आज की बहस में केंद्र ने कहा कि नए सामाजिक संबंधों पर फैसला करने का हक केवल संसद को है। उसने ये भी कहा कि याचिकाकर्ता इस देश के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते। वहीं, कोर्ट ने कहा कि सुनवाई होने दीजिए। सरकार को भी अपना पक्ष रखने का मौका मिलेगा।
क्या है मामला
साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक संबंध को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया था। इसके बाद से समलैंगिक विवाह की मांग जोर पकड़ने लगा था। इसको लेकर दो गे कपल पिछले साल नवंबर में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। उनकी मांग की थी कि स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत समलैंगिक विवाह को मान्यता देने की मांग की थी। इसके बाद कोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी किया था। इस पर सरकार ने इसके खिलाफ अपनी बात रखी थी।