इच्छामुत्यु चुनने के लिए सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, पैसिव यूथिनिसिया मामले में शर्तों का करना पड़ेगा पालन

सुप्रीम कोर्ट ने मरने की इच्छा रखने वालो के पक्ष में बड़ी राहत भरी खबर सुनाई है। पैसिव यूथिनिसिया यानि…

सुप्रीम कोर्ट ने मरने की इच्छा रखने वालो के पक्ष में बड़ी राहत भरी खबर सुनाई है। पैसिव यूथिनिसिया यानि निष्क्रिय इच्छा मृत्यु के मामले में पुराने गाइडलाइन को बदलकर उन्हें अब और अधिक व्यावहारिक बना दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने मजिस्ट्रेट के सामने लिविंग बिल करने की प्रक्रिया की शर्त को अब हटा दिया गया है। यही नहीं अब कोर्ट ने इच्छा मृत्यु रखने वालों की शर्ते भी पहले की अपेक्षा आसान कर दी है।

आपको बता दें साल 2018 में जो एडवांस मेडिकल डायरेक्टिव विल पर जो गाइडलाइन दिया गया था।अब उसकी शर्ते बेहद आसान हो गई है। इसमें बदलाव करते हुए कोर्ट ने डॉक्टरों के भूमिका को अधिक अहमियत दी है।कोर्ट के कहे मुताबिक डॉक्टरों ने इस मामले में जो चुनौतिया आ रही हैं।उनकी पूरी जानकारी मुहैया कराए और ये बेहद जरूरी हो गया था कि कोर्ट दोबारा से दिशानिर्देशों पर गौर करें और इसमें अहम बदलाव करें।

सुप्रीम कोर्ट का साल 2018 में फैसला
9 मार्च 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने इच्छा मृत्यु के मामले में एक खास फैसला दिया था और इसके तहत कहा था कि सम्मान के साथ मौत का हक मौलिक अधिकारों में हैं।खासतौर पर जो लोग कोमा या वो मरने की नौबत में है।उनके पक्ष में उनके लाइफ सपोर्ट सिस्टम को हटाते हुए मृत्यु को अपनाने की सशर्त इजाजत दी गई थी।कोर्ट ने पैसिव यूथेनेशिया यानी परोक्ष रूप से इच्छा मृत्यु और एडवांस डायरेक्टिव यानी कि लिविंग विल को मान्यता प्रदान की थी और इसके लिए दिशा निर्देश भी तय किए गए थे।

इस मामले पर इंडियन काउंसिल ऑफ फॉर क्रिटिकल केयर मेडिसिन गाइडलाइंस में बदलाव करने की मांग पेश की थी और कहा था कि वर्तमान व्यवस्था व्यवहारिक नहीं है और ये बखूबी काम नहीं कर पा रही है।वही साल 2018 के जजमेंट में जो दिशानिर्देश रखे गए थे।उसके बदलाव के लिए मामला दोबारा सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों के सामने पेश किया गया

सक्रिय मृत्यु यानी एक्टिव यूथेनेशिया एक ऐसा मामला है। जिसके तहत डॉक्टर जानबूझकर कुछ ऐसा मेडिकल कारवाही करता है।जोकि एक गंभीर रूप से रोगी की मृत्यु की वजह बनती है।इस प्रक्रिया के तहत एक रोगी के जीवन को समाप्त करने के लिए घातक केमिकल कंपाउंड का सहारा लेना भी शामिल है।

Related post

नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर SC में दायर याचिका खारिज, कोर्ट ने कहा- गनीमत है कि जुर्माना नहीं लगा रहे

नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर SC में…

सुप्रीम कोर्ट ने नए संसद भवन को राष्ट्रपति द्वारा उद्घाटन कराए जाने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया है।…
सुप्रीम कोर्ट से AAP नेता सत्येंद्र जैन को जमानत: 360 दिन की जेल के बाद 42 दिन के लिए आए बाहर

सुप्रीम कोर्ट से AAP नेता सत्येंद्र जैन को जमानत:…

दिल्ली सरकार के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री और आम आदमी पार्टी के नेता सत्येंद्र जैन को बड़ी राहत मिली है। बता दें…
नए संसद भवन का उद्घाटन सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, राष्ट्रपति से कराए जाने को लेकर जनहित याचिका दायर

नए संसद भवन का उद्घाटन सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, राष्ट्रपति…

नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति से कराने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *