इन कीटनाशकों का करें छिड़काव
कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि आम के पेड़ों को कीटों से बचाने और उन्हें स्वस्थ रखने के लिए नीम के तेल का छिड़काव करना चाहिए। साथ ही आम के बाग में नमी बनाए रखें। आम के पेड़ तक पर्याप्त पानी पहुंचना चाहिए। साथ ही कुछ वैज्ञानिकों का मत है कि जब तक पेड़ (वृक्ष) में बीज न हो तब तक पानी नहीं देना चाहिए। कभी-कभी कैल्शियम नाइट्रेट प्रति लीटर पानी में पांच ग्राम कैल्शियम नाइट्रेट के साथ एक ग्राम बोरम और चार मिली प्लोनोथिक्स प्रति 9 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए। इसके बाद फफूंदनाशक सल्फैक्स और अनिल क्लोराइड के मिश्रण से पेड़ पर छिड़काव करें। इसका छिड़काव करने से आम में होने वाली बीमारियों की बेहतर देखभाल की जा सकती है।
ऐसे बचाएं आम को बीमारियों से
कृषि वैज्ञानिक कहते हैं, ‘आम के पेड़ों पर धब्बे जमने के बाद ही फलों पर छिड़काव करना चाहिए। किसान जहरीले रसायन का छिड़काव न करें। जहरीले रसायनों के छिड़काव से फल के जहरीले होने की आशंका बढ़ जाती है। इसके साथ ही किसानों को आम के पेड़ों को भरपूर पानी देना चाहिए। इससे न सिर्फ आप बीमारियों से बचेंगे बल्कि बढ़ते तापमान का असर भी कम होगा। साथ ही जब पेड़ पर सरसों के आकार के बीज बनने लगें तो कीटनाशक और फफूंदनाशी का छिड़काव किया जा सकता है। पेड़ पर मटर के दाने के आकार के बीज दिखने पर 15 दिन के अंतराल पर प्लेनोफिक्स 5 से 6 मिली प्रति दस लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव किया जा सकता है। जिससे अनावश्यक दाग या बीमारी नहीं होगी।
बिहार कृषि विभाग के अनुसार मधुआ कीट रोग के कारण फलों पर काला धब्बा हो जाता है। इसके लिए कृषि वैज्ञानिकों द्वारा अनुशंसित कीटनाशकों का ही प्रयोग करें। इन कीटनाशकों का समय-समय पर प्रयोग करना चाहिए। यह ख़स्ता फफूंदी और एन्थ्रेक्नोज की रक्षा कर सकता है। इस प्रकार आप उचित रखरखाव के साथ आम की फसल की देखभाल कर सकते हैं और अच्छी फसल और अच्छी कीमत प्राप्त कर अच्छी आय अर्जित कर सकते हैं