शिकार की घटनाओं में कमी
2021 में 127 बाघों की मौत हुई, जिनमें से 18 बाघों की मौत अवैध शिकार, 8 बाघों की अप्राकृतिक कारणों से, 101 बाघों की मौत प्राकृतिक और अन्य कारणों से हुई। इससे पहले साल 2020 में 106 बाघों की मौत हुई थी। इनमें से 15 बाघों की अवैध शिकार, 1 की अन्य कारणों से और लगभग 90 बाघों की प्राकृतिक कारणों से मौत हुई है। इसी तरह 2019 में 96 बाघों की मौत हुई, जिनमें से 27 बाघों की मौत अवैध शिकार, 3 अन्य कारणों से और 66 प्राकृतिक और अन्य कारणों से हुई।
5 साल में बाघों की मौत बढ़ी
इससे पहले 2018 में कुल 101 बाघों की मौत हुई थी, जिनमें से 44 की मौत अवैध शिकार, 4 की मौत अन्य कारणों से जबकि 53 बाघों की मौत सामान्य कारणों से बताई गई थी। केंद्र सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, 2018 और 2022 के बीच अवैध शिकार के कारण बाघों की मौत में लगातार गिरावट आई है। अहम बात यह सामने आई है कि मौत अन्य कारणों से हुई है।
अवैध शिकार में एक चौथाई की कमी आई है जबकि प्राकृतिक मौतों की संख्या दोगुनी से अधिक हो गई है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 2018 में देश में कुल बाघों की संख्या 2967 थी। उसके बाद बाघ की गिनती नहीं होती है। आपको बता दें कि हाल ही में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के सामने एक रिपोर्ट पेश की थी।, जिसमें उन्होंने कहा कि देश के 53 टाइगर रिजर्व में 2,967 बाघ हैं।