इस बीच, कांग्रेस सांसदों ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार सदन नहीं चलने दे रही है और अडानी मुद्दे से लोगों का ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है। बीजेपी सदन में राहुल गांधी से माफी की मांग कर रही है। बता दें कि बजट सत्र का दूसरा चरण 13 मार्च से शुरू हुआ था, लेकिन संसद में हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही एक दिन में पूरी नहीं हो सकी। नतीजतन, यह ज्ञात है कि संसद के इस चरण में 35 बिल लंबित हैं।
पांच दिनों में लोकसभा में सिर्फ 42 मिनट की कार्यवाही
गौरतलब है कि लोकसभा हंगामे के कारण पांच दिनों में केवल 42 मिनट ही चली। यानी 13 मार्च से 17 मार्च के दौरान लोकसभा की कार्यवाही महज 42 मिनट ही चल रही थी। लोकसभा टीवी के आंकड़ों के मुताबिक 13 मार्च को नौ मिनट, 14 मार्च को चार मिनट और 15 मार्च को चार मिनट, 16 मार्च को साढ़े तीन मिनट और 17 मार्च को 22 मिनट यानी कुल 42 मिनट तक कार्यवाही चल सकी।
एक मिनट में ढ़ाई लाख का खर्चा
इस तरह, पिछले 5 दिनों में राज्यसभा की कार्यवाही 55 मिनट चली। इस तरह दोनों सदन सिर्फ 97 मिनट ही चले। इस बीच संसद में कोई बिल पास नहीं हुआ। वहीं दूसरी तरफ एक रिपोर्ट में मिली जानकारी के मुताबिक संसद में एक घंटे का खर्च 1.5 करोड़ रुपये है। अनुमान के मुताबिक संसद की एक मिनट की कार्यवाही पर ढाई लाख रुपए खर्च हुए हैं। इस तरह पिछले पांच दिनों 50 करोड़ रुपए से ज्यादा बेकार चले गए।