सीआईसी के आदेश के खिलाफ गुजरात विश्वविद्यालय की अपील को स्वीकार करते हुए न्यायमूर्ति बीरेन वैष्णव ने अरविंद केजरीवाल पर 25,000 का रुपये का जुर्माना लगाया। उन्हें चार सप्ताह के भीतर गुजरात राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण (जीएसएलएसए) के पास पैसा जमा करने को कहा। न्यायमूर्ति वैष्णव ने कहा कि अदालत ने पाया कि विवादित आदेश पारित करते समय केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) जानता था कि वह जो निर्देश दे रहा था, वह विशेष रूप से स्पष्ट नहीं था, बल्कि यह एक मछली पकड़ने और अन्वेषण का प्रयास था। न्यायमूर्ति वैष्णव ने अपने आदेश में कहा कि याचिका को स्वीकार किया जाता है और सीआईसी का विवादित आदेश को रद्द किया जाता है, जो उसने 29 अप्रैल, 2016 को दिया था।
बीजेपी ने साधा केजरीवाल पर निशाना
कोर्ट द्वारा केजरीवाल के खिलाफ फैसला सुनाए जाने के बाद बीजेपी ने भी उन पर निशाना साधा है। बीजेपी प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा, ‘झूठ बोलना और अभद्र टिप्पणी करना और प्रधानमंत्री की कुर्सी के खिलाफ झूठ बोलना फैशन बन गया है। केजरीवाल इस मामले में राहुल गांधी को कड़ी टक्कर दे रहे हैं।’ लेकिन आज हाईकोर्ट ने उन्हें उनकी जगह दिखा दी है। उम्मीद है कि केजरीवाल न्यायपालिका पर राहुल की तरह भद्दी टिप्पणी नहीं करेंगे। यह साक्षर होने के साथ-साथ अनपढ़ होने के रूप में गिना जाएगा।
निजता का उल्लंघन का मामला बताया
मामले की सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (एसजी) ने तर्क दिया कि सूचना के अधिकार (आरटीआई) के माध्यम से छात्र की डिग्री प्रकाशित करना उनकी निजता का उल्लंघन होगा। उन्होंने अदालत में यह भी कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की डिग्रियों का विवरण विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर पहले से ही सार्वजनिक रूप से उपलब्ध है।