कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 135 सीटों के साथ भारी जीत दर्ज की है। इसके बाद रविवार (14 मई) को बेंगलुरु में कांग्रेस विधायक की बैठक हुई, जिसमें एक प्रस्ताव पारित किया गया और मुख्यमंत्री चुनने का अधिकार कांग्रेस अध्यक्ष को दिया गया। इस दौरान कांग्रेस पर्यवेक्षकों ने विधायकों की राय ली। इसके लिए गुप्त मतदान भी कराया गया था। बताया जाता है कि खुद सिद्धारमैया भी गुप्त मतदान चाहते थे। अगले दिन सोमवार को कांग्रेस के तीन पर्यवेक्षक दिल्ली पहुंचे और मल्लिकार्जुन खड़गे से मुलाकात कर उन्हें विधायकों की राय से अवगत कराया। सूत्रों के मुताबिक, सिद्धारमैया को ज्यादा विधायकों का समर्थन हासिल था, जिससे उनका दावा और मजबूत हो गया।
सिद्धारमैया ने अपने राजनीतिक जीवन में 12 चुनाव लड़े जिनमें से उन्होंने 9 में जीत हासिल की। सिद्धारमैया सीएम रह चुके हैं। इससे पहले वह 1994 में जनता दल सरकार में कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री थे। उनके खिलाफ भ्रष्टाचार का कोई मामला नहीं है। जबकि डीके शिवकुमार के खिलाफ कई मामले चल रहे हैं। वह जेल भी जा चुका है।
दोनों नेता गांधी परिवार के सबसे करीबी
सिद्धारमैया और डीके दोनों ही गांधी परिवार के करीबी माने जाते हैं। माना जाता है कि मल्लिकार्जुन खड़गे ने 2008 में सिद्धारमैया को जेडीएस से कांग्रेस में लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। ऐसे में उन्हें खड़गे का काफी करीबी बताया जाता है। सिद्धारमैया 2013 से 2018 तक कर्नाटक के सीएम थे। इस बीच उन्होंने टीपू सुल्तान को कर्नाटक में नायक के रूप में स्थापित करने का प्रयास किया। सिद्धारमैया कुरुबा समुदाय (ओबीसी) से आते हैं। यह कर्नाटक में तीसरा सबसे बड़ा समुदाय है। इतना ही नहीं, सिद्धारमैया को राज्य का सबसे बड़ा ओबीसी नेता माना जाता है। शिवकुमार से भी बड़े जननेता सिद्धारमैया माने जाते हैं।