कोरोना के कारण दूसरे देशों के छात्र यूक्रेन छोड़कर भारत लौट आए। उज्बेकिस्तान, ताजिकिस्तान, किर्गिस्तान, जॉर्जिया, रूस में ज्यादातर छात्रों ने मेडिकल में प्रवेश लिया। यूक्रेन-रूस युद्ध के दौरान घर लौटे एमबीबीएस के छात्र एक साल तक कुछ नहीं कर सके। अधिकांश छात्रों का तबादला हो गया और उन्होंने दूसरे देशों के मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश ले लिया। अब एमबीबीएस अंतिम वर्ष के छात्रों को राहत मिली है। लेकिन एमबीबीएस के पहले, दूसरे, तीसरे और चौथे साल में पढ़ने वाले छात्रों के लिए अभी कोई फैसला नहीं लिया गया है।
सरकार के मुताबिक, यूक्रेन से लौटे छात्र एमबीबीएस परीक्षा की तर्ज पर फाइनल परीक्षा (पार्ट-1 और पार्ट-2) देंगे। उन्हें एक साल के भीतर परीक्षा पास करनी होगी। सरकार ने स्पष्ट किया कि छात्रों के लिए फाइनल परीक्षा पास करने का यह आखिरी मौका है। ऐसे में ही छात्रों को यह सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। भविष्य में छात्र इस संबंध में कोई मांग नहीं करेंगे।
दो साल की अनिवार्य इंटर्नशिप पूरी करनी होगी
केंद्र के मुताबिक, इन दोनों परीक्षाओं को पास करने के बाद छात्रों को दो साल की अनिवार्य रोटेटरी इंटर्नशिप पूरी करनी होगी। जिसमें प्रथम वर्ष नि:शुल्क तथा द्वितीय वर्ष की प्रतिपूर्ति करनी होगी। जैसा कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग (NMC) ने पिछले वर्षों में तय किया था। हालांकि उन्हें यहां के किसी भी मेडिकल कॉलेज में प्रवेश नहीं मिलेगा। छात्रों की चिंताओं को दूर करने के लिए केंद्र द्वारा गठित एक समिति द्वारा निर्णय लिया गया था। समिति ने जोर दिया कि यह एक बार का विकल्प होगा।