बता दें, 2022 के अंत तक कुल 53 देशों में मृत्युदंड बरकरार रखा है। इनमें भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका, दक्षिण अफ्रीका, पश्चिम एशिया के सभी देश और दक्षिण पूर्व एशिया के साथ-साथ पश्चिम अफ्रीका के कुछ देश भी शामिल हैं। 2008 के मुंबई हमलों को अंजाम देने वाले 10 आतंकवादियों में से एक अजमल आमिर कसाब को 2012 में मौत की सजा सुनाई गई थी। यह सजा पूर्ण और उचित न्यायिक प्रक्रिया के बाद दी गई थी। दिल्ली में 2012 में निर्भया के साथ क्रूर यौन उत्पीड़न के लिए 16 मार्च, 2020 को चार लोगों को फांसी दी गई थी। निर्भया मामले के चारों दोषी भारत में फांसी दिए जाने वाले अंतिम व्यक्ति थे।
21 मार्च को भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच ने कहा कि वे यह तय करने के लिए दो तरीकों पर गौर करेंगे कि क्या गर्दन से लटकाने की विधि संवैधानिक है? क्या कोई वैकल्पिक तरीका है जो मानवीय गरिमा के अनुरूप हो या यदि गर्दन से लटकाने की विधि के बदले कोई पूरक विधि हो, ताकि इसे वैध बनाया जा सके।
अदालत ने मृत्युदंड के लिए फांसी की सजा के बदले एनकाउंटर में गोली मारने से भी इनकार किया। इसके साथ ही बिजली की कुर्सी या घातक इंजेक्शन दिए जाने जैसे वैकल्पिक तरीकों को भी खारिज कर दिया। इसमें कहा गया है कि रिपोर्ट से पता चलता है कि इन उपायों में दोषियों को गंभीर दर्द का सामना करना पड़ रहा है और गड़बड़ी के कई उदाहरण हैं।
भारत में मौत की सजा के तरीके
1983 में, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया कि एक अपराधी की मौत की सजा दीना बनाम भारत संघ नामक एक मामले में, आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 354 (5) को मान्य किया है जो एक अपराधी को मृत्युदंड दिए जाने की विधि बताती है। जब किसी को मौत की सजा सुनाई जाती है, तो जल्लाद को यह बताया जाता है कि उसे क्या करना है। जल्लाद उस व्यक्ति को तब तक गले से लटकाएगा, जब तक वह मर नहीं जाता।