बता दें कि कब्जे के बाद चीन की नजर में बौद्धिक गुरु दलाई लामा आंखों मे खटकने लगे हैं। इसके पीछे की वजह को मानें तो बौद्ध बहुल देश में मौजूदा समय में भी लोग दलाई लामा को अपना नेता का दर्जा देते हैं और आजादी का सपना वो अपने अंदर छिपाए रखे हैं। वहीं दलाई लामा ने कुछ ऐसी हरकत की है, जिसके बाद से चीन का चिढ़ना लाजमी है। दलाई लामा ने तिब्बती धर्म के तीसरे सबसे वरिष्ठ लामा और मंगोलिया स्थित प्रभावशाली गेलुग्पा स्कूल के प्रमुख के पुनर्जन्म को लेकर घोषणा की है।
गेलुग्पा स्कूल का प्रभाव तिब्बती बौद्ध धर्म में है
इसका अंदाजा आप इससे लगा सकते हैं कि इस खास स्कूल के मुख्य केंद्र गैंडेन के प्रमुख 14वें दलाई लामा खुद ही हैं। बता दे कि 14वें दलाई लामा ने हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में एक कार्यक्रम के समय दसवें खालखा जेटसन रिनपोछे का विधिपूर्वक अभिषेक भी किया। वहीं इसमें शामिल होने के लिए 600 की तादात में लोग मंगोलिया से धर्मशाला पहुंचे थे।
चीन इससे काफी प्रभावित हुआ
चीन की कम्युनिष्ट पार्टी (सीपीसी) इस खबर से काफी प्रभावित हुई है। गौरतलब है कि सीपीसी दलाई लामा को बौद्ध धर्म का नेता नहीं स्वीकारती है। बता दें कि चीनी सरकार और दलाई लामा के बीच बौद्ध धर्म पर प्रभुत्व को लेकर पहले से ही तनाव बरकरार है। वैसे भी चीनी सरकार ने एक नकली दलाई लामा के जन्म की घोषणा भी कर रखी है, लेकिन उसकी सबसे बड़ी मुश्किल है कि तिब्बती बौद्ध धर्म के अनुयायी उसे नहीं स्वीकारते हैं।