सेविंग अकाउंट और करंट अकाउंट के बीच अंतर
1 सेविंग अकाउंट (Saving account)
• अधिकतर लोग सेविंग अकाउंट को पैसों की बचत के लिए बैंक में खाता खुलवाते हैं। इसमें रेगुलर सेविंग अकाउंट, सैलेरी अकाउंट, जीरो बैलेंस अकाउंट, सीनियर सिटीजंस, यह कुछ खास तरह के अकाउंट सेविंग अकाउंट के अंतर्गत आते हैं।
• सेविंग अकाउंट में पैसे रखने की लिमिट होती है।
• सेविंग अकाउंट में 3% से 6% परसेंट तक ब्याज मिलता है, लेकिन ब्याज के रूप में होने वाले आय टैक्स के दायरे में आती है।
• सेविंग अकाउंट में मिनिमम बैलेंस रखना जरूरी होता है, लेकिन मिनिमम बैलेंस ना होने की स्थिति में पेनाल्टी देनी पड़ती है।
• सेविंग अकाउंट में दैनिक ट्रांजैक्शन की लिमिट होती है। आप निर्धारित लिमिट से ज्यादा ट्रांजैक्शन नहीं कर सकते।
• सेविंग अकाउंट पर कई बैंक लाइफ इंश्योरेंस और जनरल इंश्योरेंस ऑफर करती है।
• सेविंग अकाउंट वाले खाताधारकों को लॉकर सुविधा में 15 से 30 फीसदी तक की छूट मिलती है।
2. करंट बैंक अकाउंट (Current account)
• करंट अकाउंट खासतौर पर बिजनेसमैन ज्यादा इस्तेमाल
करते है। करंट अकाउंट में आप कितना भी पैसा रख सकते हैं, इसकी कोई लिमिट नहीं होती है।
• करंट अकाउंट में आप बड़ी मात्रा में पैसे का लेनदेन कर सकते हैं, लेकिन करंट अकाउंट पर किसी तरह का ब्याज नहीं मिलता है। इसलिए यह टैक्स के दायरे में नहीं आती है।
• करंट अकाउंट में खाता धारक मौजूदा बैलेंस से भी ज्यादा विदड्रॉ कर सकते हैं।
• करंट अकाउंट में ट्रांजैक्शन की कोई लिमिट नहीं होती है। आप कितना भी ट्रांजैक्शन कर सकते हैं।
• करंट बैंक अकाउंट खाताधारक को लोन आसानी से मिल जाता है।
• करंट अकाउंट में खाताधारक ड्राफ्ट के जरिए पैसे जमा या ट्रांसफर करना बेहद आसान तरीके से कर सकते हैं।
• करंट अकाउंट में खाताधारक देशभर के किसी भी अपनी बैंक शाखा से पैसे निकाल या जमा कर सकता है।