मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने लिव-इन में रहनेवाली महिलाओं के अधिकारों को मान्यता दे दी है। कोर्ट ने कहा कि किसी पुरुष के साथ काफी समय तक रहने वाली महिला अलग होने पर भरण-पोषण की हकदार है, भले ही वे कानूनी रूप से विवाहित न हों। न्यायाधीशों ने इस बात पर जोर दिया कि यदि कपल के बीच सहवास का सबूत है तो भरण-पोषण से इनकार नहीं किया जा सकता है।